ध्यान मे क्या करें,dhyan me kya karen = स्वामी विवेकानंद परिव्राजक
प्राणायाम मे जबरदस्ति न करें=स्वामी स्वामी विवेकानंद परिव्राजक
मरने पर शिर उत्तर दिशा में क्यों रखते हैं,marne par sir uttar disha me kyo rakhte hai
JEEWAN ME BANDHAN MUKT KAISE JIYE
AASHAKTI MEANS, आसक्ति मतलव-स्वामी विवेकानंद परिव्राजक
Ved Virudh Karya Karne Se Dand Milega=स्वामी विवेकानंद परिव्राजक
moksh ke lie sabko bramhan banna hoga,मोक्ष के लिए सबको ब्राह्मण बनना होगा
ऋषि ही प्रमाण है ,rishi hi praman hai=स्वामी विवेकानंद परिव्राजक
क्या अगला जन्म होता है(14)KYA AGLA JANM HOTA HAI=स्वामी विवेकानंद जी