Aryabhivinay-01/47 (आर्याभिविनय-01/47, ऋग्वेद 7 /8 /12 /1) सा मा सत्योक्तिः परि
Aryabhivinay-01/46 (आर्याभिविनय-01/46, ऋग्वेद 1 /5 /19 /3) देवो न यः पृथ्वी
Aryabhivinay-01/45 (आर्याभिविनय-01/45, ऋग्वेद 1 /8 /5 /2) मृला नो रुद्रोत नो
Aryabhivinay-01/44 (आर्याभिविनय-01/44, ऋग्वेद 1 /7 /12 /5) यो विश्वस्य जगतः
Aryabhivinay-01/43 (आर्याभिविनय-01/43, ऋग्वेद 1 /7 /14 /4) वयं जयेम त्वया...
Aryabhivinay-01/42 (आर्याभिविनय-01/42, ऋग्वेद 1 /7 /9 /7) स पूर्वया निविदा
Aryabhivinay-01/41 (आर्याभिविनय-01/41, ऋग्वेद 1 /7 /9 /7) तमूतयो रणयञ्छुरसातौ
Aryabhivinay-01/40 (आर्याभिविनय-01/40, ऋग्वेद 1 /7 /3 /3)तमीलत प्रथम यज्ञसाधम
Aryabhivinay-01/39 (आर्याभिविनय-01/39, ऋग्वेद 1 /7 /5 /6) त्वं हि विश्वतोंमुख