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उच्चस्तरीय क्रियात्मक योग प्रशिक्षण शिविर

25/09/2017

उच्चस्तरीय क्रियात्मक योग प्रशिक्षण शिविर सम्पन्न

ईश्वर की महती कृपा से दर्शन योग महाविद्यालय आर्यवन रोजड़ द्वारा दिनांक 19-09-2017से 24-09-2017तक उच्चस्तरीय क्रियात्मक योग प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया । इस शिविर में भारत के विभिन्न (10)प्रान्तों के 50शिविरार्थियों ने तथा अनेक श्रोताओं ने भाग लिया ।

शिविर में यम-निमय-आसन आदि अष्टांग योग का आदर्श रूप में आचरण, आत्मनिरीक्षण, विभिन्न दर्शन शास्त्रों के साधना के लिए महत्वपूर्ण सूत्र तथा शंका समाधान की कक्षाओं में मार्गदर्शन तथा यज्ञोपरान्त वेदमन्त्र व्याख्यान शिविराध्यक्ष पूज्य स्वामी विवेकानन्द जी परिव्राजक द्वारा किया गया । विशेष ध्यानाभ्यास स्वामी ध्रुवदेव जी परिव्राजक ने सम्पन्न कराया, विवेक वैराग्य अभ्यास के विषय को आचार्य ईश्वरानन्द जी ने रोचक शैली में प्रस्तुत किया । गम्भीर निदिध्यासन के सिद्धान्त और विधि आचार्य दिनेश कुमार जी ने बतलाई । आचार्य प्रियेश जी ने शिविर के व्यवस्था,संचालन में विशेष सहयोग प्रदान किया । आसन-व्यायाम प्रशिक्षण पिंजौर के श्री वीरेन्द्र जी तथा दिल्ली की माता विमल जी ने दिया ।

शिविर का समापन दिनांक 24-09-2017को प्रातः 9से 12के सत्र में चला, जिसमें शिविरार्थियों ने अपने अनुभव व उपलब्धियां सुनाई । पूज्य स्वामी सत्यपति जी परिव्राजक एवं पूज्य आचार्य ज्ञानेश्वर जी आर्य के भी प्रेरक उद्बोधन हुए । शिविराध्यक्ष स्वामी विवेकानन्द जी ने उत्तम प्रेरणाएँ दीं । होशंगाबाद गुरुकुल से स्वामी ऋतस्पति जी परिव्राजक, आर्यवन आर्ष कन्या गुरुकुल की आचार्या शीतल जी तथा वानप्रस्थ साधक आश्रम से आचार्य शक्तिनन्दन जी का सान्निध्य भी प्राप्त हुआ । 

शिविरार्थियों ने अपने जीवन में सद्गुणों को धारण करने एवं दोषों को छोड़ने सम्बन्धी अनेक व्रत धारण किए तथा भविष्य में स्वयं सेवक के रूप में विद्यालय की गतिविधियों को आगे बढ़ाने हेतु संकल्प लिया । शिविर काल में कक्षाओं को छोडकर पूर्णकालिक मौन का नियम था इस नियम का पालन शिविरार्थियों ने यथासामर्थ्य किया ।

इस अवसर पर पूज्य स्वामी सत्यपति जी परिव्राजक के करकमलों द्वारा ‘सत्य सिद्धान्त’ नामक पुस्तक का विमोचन किया गया । दर्शन योग धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक के लेखक आचार्य धर्मवीर जी ‘मुमुक्षु’ हैं ।

शिविर को सफल बनाने हेतु दर्शन योग महाविद्यालय के अध्यापक, ब्रह्मचारी व कार्यकर्ता तथा अनेक स्थानों से आये सहयोगियों ने सराहनीय योगदान दिया । आर्यवन विकास फॉर्म ट्रस्ट की ओर से आवास, भोजन आदि में विशेष सहयोग प्राप्त हुआ ।

स्वामी सत्यपति जी के प्रेरक उद्बोधन के महत्त्वपूर्ण अंश :-

ईश्वर ओर हमारे अनेक संबंध हैं जिसमें व्याप्य-व्यापक संबंध महत्त्वपूर्ण है,उसे व्यवहार में लायें  ।

ईश्वर जैसे गुण स्वयं में धरण करना यह उपासना है ।

मोक्ष ओर ईश्वर एक ही है ।

प्रसन्नचित्त व्यक्ति का ही योग सिद्ध होता है,अप्रसन्नचित्त का नहीं ।

व्यवहार में सदा सार्वभौम रूप में यम नियमों का पालन करें ।

ध्यान,संध्या हेतु नियमित सुबह शाम एक एक घंटा लगायें ।

जो पदार्थ के स्वरूप को ठीक ठीक जना देवें वह सत्यविद्या है ऐसी सारी सत्यविद्याओं का तथा सारे पदार्थ हमारे शरीर,सोना,चाँदी,आदि इन विद्याओं से जाने जाते हैं इन सब का आदि मूल परमेश्वर है । इनको अपना मानना अनुचित है ।

दर्शन योग महाविद्यालय

आर्यवन, रोजड, पो.- सागपुर, ता.- तलोद, जिला -साबरकांठा, गुजरात, पिन ३८३३०७ 
दूरभाष = +91-2770-287418, 287518,चलभाष= +91- 94094 15011, 94094 15017
Whatsapp- +91- 9409415011, 9978273084
अन्तर्जाल पर जानकारी हेतु www.darshanyog.org

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